चौबीसवें नाट्य समारोह के पहले दिन दो नृत्य दलों की प्रस्तुतियों के साथ रायगढ़ इप्टा ने कहानी का रंगमंच किया। कहानी थी उदय प्रकाश की कहानी ‘ रामसजीवन की प्रेमकथा।’
पहला नृत्य ‘ ओ री चिरैया’ गीत पर दीक्षा पटेल ने किया। भावपूर्ण गाने में भावों पर काम किये जाने की ज़रूरत लगी। आजकल नृत्य विधा में कई तरह के फ़्यूज़न किए जा रहे हैं जो कलाकार की रचनात्मकता को दर्शाते हैं और उनकी कल्पनाशीलता को रंग देते हैं इसमें जब तक भावों का का भरपूर सम्मिश्रण होता है तब तक गीत, संगीत, नृत्य और वेशभूषा दर्शकों के आनंद में इज़ाफ़ा करते हैं पर जहाँ भावों को दरकिनार किया जाता है वहाँ नृत्य सिर्फ़ मुद्राओं का ख़ालिस प्रदर्शन रह जाता है। आज के बदलते समय में भावहीनता की उपस्थिति हर तरफ महसूस की जा रही है तो ऐसे समय में कलाकारों की ज़िम्मेदारी हर प्रस्तुति के लिए बढ़ जाती है। दीक्षा और उस जैसे बच्चों में सम्भावनाओं का असीम आकाश है ज़रूरत है कि नृत्य मुद्राओं के साथ भावों का संतुलित सामंजस्य सिखाया जाए जिस से नृत्य उनके लिए भावनात्मक और रागात्मक सेतु बाँधने का अनूठा खेल बनें और दर्शकों की स्मृति में हमेशा के लिए दर्ज हो।
दूसरी प्रस्तुति सामूहिक थी जिसे शाइनिंग स्टार समूह ने की, जिसमें सभी सदस्यों का परस्पर सामंजस्य और ऊर्जा का तालमेल बख़ूबी संचारित महसूस हुआ। कई गानों के साथ बेटी बचाओ का आह्वान किया और साथ में देशभक्ति को भी सम्मिलित किया जो आज एक रिवाज सा लगने लगा है। कई तरह के भावों के मेल में किसी प्रस्तुति के केंद्रीय भाव को पकड़ना कठिन काम है। कला रूपों के क्षणिक असर से उबरना आवश्यक है जिस से इन प्रतिभाशाली कलाकारों की कला को नए आयाम मिलें।
अंत में रायगढ़ इप्टा ने कहानी का रंगमंच अंतर्गत उदय प्रकाश जी की कहानी ‘ रामसजीवम की प्रेम कथा’ की प्रस्तुति दी। कहानी का चयन सराहनीय है मंच पर युवा कलाकार की उपस्थिति आश्वस्ति है। इस कहानी के केंद्रीय किरदार रामसजीवन के साथ अपने समय, समाज का गजब मूल्याँकन उदय प्रकाश जी ने किया है जिसके ताने- बाने पर प्रस्तुति के जोखिम को आसानी से खेल जाना मुमकिन नहीं और पहली प्रस्तुति पर टीका करना भी ज़्यादती हो सकती है पर एक प्रतिबद्ध दर्शक होने नाते यह बताना ज़रूरी है कि कल की प्रस्तुति औसत थी, कहानी पढ़ते जो दृश्य बनते हैं उन पर मंचीय कलाकारों को शिद्दत से काम किए जाने की आवश्यकता है।रामसजीवन की भूमिका में प्रशान्त का प्रयास अच्छा था धीरे-धीरे उस किरदार की तहों को जज़्ब करने से प्रस्तुति में निखार आएगा। साथी कलाकारों के साथ निरंतर विचार-मंथन से भविष्य की जाने वाली प्रस्तुति के सहज, दमदार और संप्रेषणीय होने की उम्मीद और शुभकामनाएँ!