अण्णाभाऊ साठे का यह पूर्णकालिक नाटक है। इसे सबसे पहले इप्टा के भूतपूर्व अध्यक्ष ए.के.हंगल की पहल पर मुंबई इप्टा ने 1957 में हिंदी में प्रस्तुत किया था। इसके कुछ मंचन भी हुए थे। हंगल साहब ने इसमें इनामदार की मुख्य भूमिका निभाई थी। बाद में यह नाटक मराठी में प्रकाशित हुआ। यह उनका एकमात्र नाटक है, जिसमें कोई गीत नहीं है। इसमें ग्रामीण पात्र ‘बोली’ में बात करते हैं और शिक्षित पात्र ‘भाषा’ में। – अनुवादक

Natak-Inaamdar

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