Anna Bhau Sathe Special

अण्णाभाऊ साठे का यह पूर्णकालिक नाटक है। इसे सबसे पहले इप्टा के भूतपूर्व अध्यक्ष ए.के.हंगल की पहल पर मुंबई इप्टा ने 1957 में हिंदी में प्रस्तुत किया था। इसके कुछ मंचन भी हुए थे। हंगल साहब ने इसमें इनामदार की मुख्य भूमिका निभाई थी। बाद में यह नाटक मराठी मेंContinue Reading

अमर शेख़ ‘इप्टा’ के मराठी मंच की एक स्टार शख़्सियत थे और ‘वन-मैन शो’ में यकीन रखते थे। उनके गीत सुनकर लोग मंत्रमुग्ध से रह जाते थे। एक दिन उन्होंने हमारा एक ‘वन-एॅक्ट प्ले’ देखा ‘सूरज’ – जिसमें मैंने भी काम किया था। उन्हें यह नाटक इतना अच्छा लगा किContinue Reading

अण्णाभाऊ साठे यह लेख 11 मई 1951 को मुंबई के सुंदराबाई हॉल में अखिल भारतीय शांति एवं एकता संगठन का प्रथम सम्मेलन सम्पन्न हुआ था। अण्णाभाऊ साठे ने यह लेख संभवतः इसी सम्मेलन के लिए लिखा था। ‘शांति, जनगण/लोक और नाटक’ – इनका त्रिवेणी प्रवाह या संगम पिछले अनेक शतकोंContinue Reading

अण्णाभाऊ साठे भारतीय समाज में देवी-देवताओं, पारम्परिक रूढ़ि-विश्वासों की बहुतायत है। अधिकांश लोग इससे ग्रस्त होते हैं। यहाँ तक कि आधुनिक शिक्षाप्राप्त लोग भी इससे अछूते नहीं रह पाते। अण्णाभाऊ साठे का विवेकवादी मस्तिष्क इस तरह के अंधविश्वासों का पुरज़ोर विरोध करता है। वे अपनी रचनाओं में इस तरह काContinue Reading