इप्टा के प्लेटिनम जुबली वर्ष पर इप्टा छत्तीसगढ़ के पाँचवें राज्य सम्मेलन के अवसर पर आयोजित चैबीसवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह की विशेषता है थी की पाँचों दिन इप्टा की ही विभिन्न इकाइयों के नाटक आमंत्रित किये गये। इस समारोह की यह भी उल्लेखनीय विशेषता रही कि रायगढ़ जिले के नृत्य दलों के नृत्यों को भी नाट्य-प्रदर्शनों के साथ प्रस्तुत किया गया।

समापन दिवस पर बिलासपुर इप्टा द्वारा मराठी लेखक पु.ल.देशपांडे द्वारा लिखित एवं सचिन शर्मा निर्देशित नाटक ‘भये प्रकट कृपाला’ का मंचन किया गया । हास्य-व्यंग्य आधारित इस नाटक में बताया गया है कि निरंतर हो रहे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक अवमूल्यन के इस दौर में ईमानदारी और मेहनत के सहारे जीना भी अब दूभर है। विकृत व्यवस्था में हर आम आदमी परेशान है चाहे वह छोटा-मोटा नौकरीपेशा या व्यवसायी ही क्यों न हो। इस हास्य और व्यंग्य से भरपूर नाटक में आम आदमी के प्रतीक के रूप में भगवान कृष्ण मंदिर में भक्तों के सामने अचानक प्रकट हो जाते हैं। और फिर शुरु होती है उनकी परेशानी।

पहले तो अपने ईश्वर होने का सबूत देना पड़ता है फिर जब कुछ काम करके जीने की इच्छा जाहिर करते हैं और उपस्थित अलग-अलग पेशे के लोगों से सहायता मांगते हैं तो वे सभी एक-एक करके अपने साथ होने वाली परेशानियों को बताकर उन्हें स्तब्ध कर देते हैं, जिनमे शिक्षाकर्मियों की व्यथा और जी.एस.टी पर भी तीखा व्यंग्य है । अंत में भगवान को यह समझा दिया जाता है कि आप जहाँ हैं वहीं ठीक हैं और इस जगत में आप अब ‘फिट’ नहीं हो पाएंगे तो अपने लोक लौट जाएँ और धैर्यपूर्वक जो हो रहा है उसे सहन करें।

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