बहुरूप आर्ट ग्रुप दिल्ली की प्रस्तुति “हमारे समय में” आधुनिक युग की त्रासदी को दर्शाती है। नाटक वर्तमान में राजनीति की अनिश्चितताओं और वैचारिक खोखलेपन को रेखांकित करता है। नाटक अपने आदर्शो के असमंजस में उलझे एक नौजवान मार्क्सवादी का चित्रण है।
नाटक टीआरपी की भाग दौड़ में लगे सैटलाइट न्यूज़ चैंनलों पर गहरा प्रहार करता है, नाटक में दर्शाया गया है कि किस तरह उपभोक्ताओं को आकर्षित करने न्यूज़ चैनल गरिमा को ताक पर रख कर काम करते है और उनके लिए केवल टीआरपी ही सब कुछ है। दर्शको को आकर्षित करने के लिए अब न्यूज़ का उत्पादन भी किया जाने लगा है। सच झूठ के न्यूज़ की दुनिया में कोई मायने नहीं है, यहाँ केवल एक ही सच है और वो है टीआरपी।
नाटक में दर्शाया गया है कि कैसे परिस्तिथियां नायक के आदर्शों में बदलाव लाती है। नायक जो की कट्टर परंपरावादी है और अपने आदर्शो के लिए कही झुकने को तैयार नहीं, वो अचानक परिस्थितियों के कारण बदल जाता है और जिस सोचविहीन समाज को धिक्कारता रहा है वो उसी समाज की तरह सोचने लगता है।
नाटक ये सवाल उठाता है कि क्यों लोग आदर्शो को ज़िंदा रखना चाहते है लेकिन उसका बोझ खुद नहीं उठाना चाहते।
नाटक के संवाद बेहद प्रभावशाली है और कलाकारों का सधा हुआ अभिनय दर्शको को बांधे रखता है। नाटक के दौरान सीन बदलने के लिए बार बार लिया गया विराम नाटक की निरंतरता में बाधा डालता है। इसके साथ ही नाटक में इस्तेमाल किया संगीत नाटक के साथ न्याय नहीं करता है।