26 वे राष्ट्रीय नाट्य समारोह की चौथी संध्या पर पॉलीटेक्निक ऑडिटोरियम में अग्रज नाट्य दल बिलासपुर ने लाइट एंड साउंड शो “मंगल से महात्मा” का मंचन किया। नाट्य समारोह का खास आकर्षण रहे इस लाइट एंड साउंड शो ने दर्शको को खूब रोमांचित किया।

मंगल से महात्मा में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम से लेकर आज़ादी तक के सफर को बेहतरीन तरीके से लाइट और साउंड के साथ दर्शको के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस नाटक में 1857 में मंगल पांडेय के द्वारा ब्रिटिश सेना में गाय की चर्बी वाले कारतूस के इस्तेमाल को लेकर किये गए विद्रोह से लेकर आज़ादी प्राप्त करने तक की घटनाओं का विवरण है।

इसमे रानी लक्ष्मीबाई, वीर नारायण सिंह, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अशफ़ाक़ उल्लाह खान, रामप्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय से लेकर महात्मा गांधी तक स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वश्व निछावर करने वाले समस्त क्रांतिकारियों का अनूठा वर्णन है।

नाटक में छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों का भी विशेष वर्णन है, फिर चाहे वह वीर नारायण सिंह हो या माखन लाल चतुर्वेदी हो। छत्तीसगढ़ के वीरो ने आजादी की लड़ाई में जो योगदान दिया उसे नाटक ने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया।

नाटक में लाइट और साउंड का बहुत खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। कलाकारों का ग्रुप वर्क भी काबिले तारीफ है। इतने लंबे नाटक में भी सभी कलाकारों ने एक दूसरे के साथ कदम और ताल मिलाकर बेहतरीन प्रस्तुति दी। 1 घंटा 25 मिनट के इस नाटक में कही भी दर्शको की पलके नही झपकी। नाटक ने दर्शको को अंत तक बंधे रखा।

नाटक का निर्देशन सुनील चिपडे ने किया है।

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