इप्टा रायगढ़ सन् 2010 से शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान प्रदान करती आ रही है। यह सम्मान प्रति वर्ष हिंदी रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले किसी भी रंगकर्मी को दिया जाता है। इस वर्ष यह सम्मान राजनाँदगाँव निवासी छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ को दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पूनम तिवारी ‘विराट’ 1984 से 2005 तक प्रसिद्ध नाटककार, निर्देशक पद्मश्री हबीब तनवीर के ‘नया थियेटर’ की अभिनेत्री रही हैं। उनकी अनेक भूमिकाएँ दर्शकों द्वारा याद की जाती हैं। हबीब तनवीर के निर्देशन में आपने चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, मोर नांव दमाद गाँव के नाव ससराल, आगरा बाजार, हिरमा की अमर कहानी, बहादुर कलारिन, लाला शोहरत राय, सोनसागर, मंगलू दीदी, सूत्रधार, जिन लाहौर नई देख्या वो जन्मा ही नहीं, देख रहे हैं नैन, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, मुद्राराक्षस, सड़क, शाजापुर की शांतिबाई, जमादारिन आदि नाटकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन, पेरिस, जर्मनी, स्वीडन, रूस, बांगला देश, मिस्त्र, शिकागो में मंचन कर चुकी हैं। भारत में भी दिल्ली, शिमला, मसूरी, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, अमृतसर, केरल, त्रिवेन्द्रम, बंगलौर, जालंधर, गोवा आदि स्थानों पर अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं। पूनम तिवारी ‘विराट’ ने ‘नया थियेटर’ के साथ भारत रंग महोत्सव, पृथ्वी फेस्टिवल, नांदिकार फेस्टिवल जैसे प्रसिद्ध नाट्य समारोहों में शिरकत की है।

इप्टा रायगढ़ द्वारा प्रदत्त शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान के अंतर्गत सन् 2010 में प्रथम रंगकर्मी सम्मान श्री राजकमल नायक, रायपुर को प्रदान किया गया। 2011 में द्वितीय रंगकर्मी सम्मान श्री संजय उपाध्याय, पटना को, जनवरी 2012 में तृतीय रंगकर्मी सम्मान श्री अरूण पाण्डेय, जबलपुर को, नवम्बर 2012 में चतुर्थ रंगकर्मी सम्मान श्री जुगलकिशोर, लखनऊ को, 2013 में पंचम रंगकर्मी सम्मान सुश्री सीमा बिस्वास, मुंबई को, 2014 में छठवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री मानव कौल, मुंबई को, 2015 में सातवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री रघुबीर यादव, मुंबई को, 2016 में आठवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री बंसी कौल, भोपाल को, 2017 में नववाँ रंगकर्मी सम्मान श्री सीताराम सिंह, पटना को और जनवरी 2019 में दसवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री मिर्ज़ा मसूद, रायपुर को प्रदान किया गया।

उल्लेखनीय है कि इस सम्मान समारोह में न केवल इप्टा बल्कि रायगढ़ की अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक संस्थाएँ भी सम्मिलित होती हैं, जिससे यह सम्मान समारोह समूचे रायगढ़ का सम्मान समारोह बन चुका है।

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