इप्टा रायगढ़ पिछले वर्ष से छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ और निरंतर रंग-साधना में डूबे हुए रंगकर्मियों को शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान प्रदान कर रही है। यह सम्मान प्रति वर्ष हिंदी रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले किसी भी रंगकर्मी को दिया जाता है। इस वर्ष यह सम्मान राजनाँदगाँव निवासी छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ को दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पूनम तिवारी ‘विराट’ 1984 से 2005 तक प्रसिद्ध नाटककार, निर्देशक पद्मश्री हबीब तनवीर के ‘नया थियेटर’ की अभिनेत्री रही हैं। उनकी अनेक भूमिकाएँ दर्शकों द्वारा याद की जाती हैं। हबीब तनवीर के निर्देशन में आपने चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, मोर नांव दमाद गाँव के नाव ससराल, आगरा बाजार, हिरमा की अमर कहानी, बहादुर कलारिन, लाला शोहरत राय, सोनसागर, मंगलू दीदी, सूत्रधार, जिन लाहौर नई देख्या वो जन्मा ही नहीं, देख रहे हैं नैन, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, मुद्राराक्षस, सड़क, शाजापुर की शांतिबाई, जमादारिन आदि नाटकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन, पेरिस, जर्मनी, स्वीडन, रूस, बांगला देश, मिस्त्र, शिकागो में मंचन कर चुकी हैं। भारत में भी दिल्ली, शिमला, मसूरी, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, अमृतसर, केरल, त्रिवेन्द्रम, बंगलौर, जालंधर, गोवा आदि स्थानों पर अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं। पूनम तिवारी ‘विराट’ ने ‘नया थियेटर’ के साथ भारत रंग महोत्सव, पृथ्वी फेस्टिवल, नांदिकार फेस्टिवल जैसे प्रसिद्ध नाट्य समारोहों में शिरकत की है।

श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ का जन्म 13 नवम्बर 1963 को राजनाँदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ। उनकी औपचारिक शिक्षा भले ही चौथी तक हुई है, मगर जीवन-संघर्षों की पाठशाला में उन्हें डी.लिट्. की उपाधि से नवाज़ा जा सकता है। उनकी माता का नाम श्रीमती राधा सोनवानी और पिता का नाम श्री नारायण राव है। उनके पति श्री दीपक तिवारी ‘विराट’ भी ‘नया थियेटर’ के प्रसिद्ध अभिनेता रहे हैं। पूनम जी को नृत्य-गान की कला विरासत में प्राप्त हुई है। वे 9 वर्ष की उम्र से दाऊ मंदराजी नाचा पार्टी, जालबांधा नाचा पार्टी, पटेवा नाचा पार्टी व मदन निषाद नाचा पार्टी में नृत्य-गान करती रही हैं। जब वे दुर्ग के चम्पा बरसन नाचा पार्टी के साथ काम कर रही थीं, उसी समय प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्मश्री हबीब तनवीर छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों की खोज में आए और पूनम जी का हबीब तनवीर से प्रथम परिचय हुआ।

दीपक तिवारी ‘विराट’ द्वारा स्थापित ‘रंग छत्तीसा’ लोक नाट्य मंच संस्था का संचालन श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ वर्तमान में राजनाँदगाँव में करती हैं। इस संस्था के अंतर्गत दीपक तिवारी ‘विराट’ के निर्देशन में उन्होंने लॉटरी, राजिम भक्तिन व पाठशाला नाटक में अभिनय किया। इन नाटकों के भारत में विभिन्न स्थानों पर मंचन हुए हैं। भारत सरकार के सहयोग से ‘रंग छत्तीसा’ के कार्यक्रम दिल्ली प्रगति मैदान, पटना, राँची, अजमेर, धनबाग, असम, गुवाहाटी, चक्रधर समारोह रायगढ़ आदि स्थानों पर हुए। उनका बेटा सूरज तिवारी भी इस संस्था का संचालन अपनी माँ के साथ करता था, कुछ दिनों पूर्व जिसकी असामयिक मृत्यु से पूरा छत्तीसगढ़ स्तब्ध रह गया था।

श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ को सन् 2015 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदत्त दाऊ दुलार सिंह मंदराजी सम्मान से नवाज़ा गया। इसी तरह 2015 में ही आईबीसी24 चैनल में ‘मोर माटी के नाचा’ कार्यक्रम में प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। सन् 2014 में रायपुर इप्टा द्वारा मुक्तिबोध नाट्य समारोह में पाँचवाँ स्व. कुमुद देवरस सम्मान उन्हें प्रदान किया गया।

दि. 26 दिसम्बर को सुबह ग्यारह बजे होटल साँईश्रद्धा में श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ को ग्यारहवें शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान से नवाज़ा जाएगा। इस सम्मान समारोह में इप्टा रायगढ़ के अलावा शहर की अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाएँ भी श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ का सम्मान करेंगी। चूँकि श्रीमती पूनम तिवारी ‘विराट’ प्रसिद्ध लोक गायिका हैं इसलिए इस अवसर पर वे अपने नाटकों के गीत भी प्रस्तुत करेंगी।

इप्टा रायगढ़ द्वारा प्रदत्त शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान के अंतर्गत सन् 2010 में प्रथम रंगकर्मी सम्मान श्री राजकमल नायक, रायपुर को प्रदान किया गया। 2011 में द्वितीय रंगकर्मी सम्मान श्री संजय उपाध्याय, पटना को, जनवरी 2012 में तृतीय रंगकर्मी सम्मान श्री अरूण पाण्डेय, जबलपुर को, नवम्बर 2012 में चतुर्थ रंगकर्मी सम्मान श्री जुगलकिशोर, लखनऊ को, 2013 में पंचम रंगकर्मी सम्मान सुश्री सीमा बिस्वास, मुंबई को, 2014 में छठवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री मानव कौल, मुंबई को, 2015 में सातवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री रघुबीर यादव, मुंबई को, 2016 में आठवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री बंसी कौल, भोपाल को, 2017 में नववाँ रंगकर्मी सम्मान श्री सीताराम सिंह, पटना को और जनवरी 2019 में दसवाँ रंगकर्मी सम्मान श्री मिर्ज़ा मसूद, रायपुर को प्रदान किया गया।

उल्लेखनीय है कि इस सम्मान समारोह में न केवल इप्टा बल्कि रायगढ़ की अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक संस्थाएँ भी सम्मिलित होती हैं, जिससे यह सम्मान समारोह समूचे रायगढ़ का सम्मान समारोह बन चुका है।

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