आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। गांधी जी का ये कथन इस नाटक में कई बार सामने आता है। नाटक में दर्शाया गया है की देश में रहने वाले धर्म विशेष के लोगो को राष्ट्रवाद के नाम पर कैसे समय समय पर निशाना बनाया जाता है।

उन्हें बार बार अपनी देशभक्ति साबित करने पर मजबूर किया जाता है। बहुसंख्यक समुदाय को समर्पित पार्टिया लोगो के अंदर नफरत का जहर भरकर उन्हें देशभक्ति के सवाल पर उलझा कर रखते है ताकि वे मूलभूत मुद्दों से भटके रहे।

इस देश में बहुत से तारकेश्वर पांडेय और आफताब है जो अपनी पहचान ढूंढ रहे है, इनमे से जो गांधी के आदर्शो को समझ लेते है वो अमन कायम करने की कोशिश करते है और जो नही समझते वो हथियार उठा लेते है। नाटक की सबसे खास बात ये रही की नाटक के निर्देशक बेहद युवा है और नाटक की विषयवस्तु को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है

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